चंद्रयान-2 पर 10 वाक्य का निबंध कक्षा 1,2,3,4,5,6,7

नमस्कार, आज इस लेख में हम चंद्रयान-2 पर एक सरल और संक्षिप्त निबंध हिंदी में साझा कर रहे हैं। चंद्रयान-2 पर 10 पंक्तियों का निबंध एक छोटा सा लेख है जो भारत के चंद्रयान-2 मिशन के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जिसमें इसके उद्देश्य, महत्व और उपलब्धियों को उजागर किया गया है।

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10 वाक्य चंद्रयान-2 पर हिंदी में

  1. चंद्रयान-2 एक अंतरिक्ष यान है।
  2. जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बनाया है।
  3. जो हम भारतियों के लिए बहुत ही गर्व की बात है।
  4. इस अंतरिक्ष यान को जीएसएलवी संस्करण 3 प्रक्षेपण यान द्वारा अंतरिक्ष में भेजा गया।
  5. चंद्रयान-2 चाँद पर खोज करने का मिशन है।
  6. इस मिशन में एक चंद्र कक्षयान।
  7. एक रोवर एवं एक लैंडर शामिल हैं।
  8. द्रयान-2 के लैंडर का नाम विक्रम और रोवर का नाम प्रज्ञान रखा गया।
  9. चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा रेंज से प्रक्षेपित किया गया।
  10. इस मिशन में 978 करोड़ रुपये खर्च हुवे।

5 वाक्य चंद्रयान-2 पर बच्चों के लिए

  1. चंद्रयान-2 भारत का दूसरा चंद्र मिशन है।
  2. इसे भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने लॉन्च किया था।
  3. इस मिशन का लक्ष्य चंद्रमा की सतह का पता लगाना था।
  4. यह चंद्रमा का पता लगाने के लिए प्रज्ञान नामक रोवर लेकर गया था।
  5. चंद्रयान-2 ने भारत को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बना दिया।

चंद्रयान-2 पर निबंध

चंद्रयान-2 भारत का दूसरा चाँद पर खोज के लिए जाने वाला अंतरिक्ष यान है, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने विकसित किया है। यह हम भारतियों के लिए बहुत ही गर्व की बात है। इससे पहले भारत ने चंद्रयान-1 अंतरिक्ष यान को 14 नवंबर 2008 को चाँद की सतह पर सफलतापूर्वक उतारा था। और अब हम दूसरी बार चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान को फिर से चाँद पर भेजने को तैयार है। इस अंतरिक्ष यान को जीएसएलवी संस्करण 3 प्रक्षेपण यान द्वारा प्रक्षेपित किया गया। इस मिशन में एक चंद्र कक्षयान, एक रोवर एवं एक लैंडर शामिल हैं। चंद्रयान-2 के लैंडर का नाम विक्रम और रोवर का नाम प्रज्ञान था। रोवर में 6 पहिये लगे थे। इन सब का निर्माण भारत में ही किया गया है।

चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा रेंज से भारतीय समय 02:43 अपराह्न को सफलता पूर्वक प्रक्षेपित किया गया। चंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर को चंद्रमा पर लगभग 70° दक्षिण के अक्षांश पर स्थित दो बड़े खड्डों, मज़िनस सी और सिमपेलियस एन के बीच एक उच्च मैदान पर उतारने का मिशन था। रोवर में पहिये लगे थे जिसका काम चाँद के सतह पर चलना और जगह का रासायनिक विश्लेषण करना था। यह विश्लेषण वहां उपस्थित मिट्टी एवं चट्टान के नमूनों को एकत्र कर करना था। और इन विश्लेषण के परिणाम को पृथिवि पर चंद्रयान -2 चन्द्र कक्षयान की मदत से भेजा जाता। चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के लगभग 45 दिन बाद वह समय आ गया जब चंद्रयान-2 को चाँद के सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग होनी थी।

6 सितंबर 2019 को रात 1:52 बजे लैंडर लैंडिंग से लगभग 2.1 किमी की दूरी पर अपने इच्छित पथ से भटक गया और अंतरिक्ष यान के साथ जमीनी नियंत्रण ने संचार खो दिया। चंद्रयान-2 का लैंडर और रोवर छतिग्रस्त हो गए मगर चंद्र कक्षयान अभी भी जमीनी नियंत्रण में है। और यह जुलाई 2026 तक काम करता रहेगा। चंद्रयान-2 मिशन को बनाने में करोड़ों रुपये खर्च किये गए, लेकिन भारत से पहले जिन देशों ने भी इस मिशन को बनाया, उन सभी देशों की तुलना में भारत ने काफी किफायती रुपयों में इसको बनाया। इस मिशन को पूरा करने में 978 करोड़ रुपये खर्च हुवे।


[Video] चंद्रयान-2 पर निबंध कैसे लिखे


अकसर पूछे जाने वाले सवाल – चंद्रयान-2

Q. चंद्रयान-2 क्या है?

Ans: चंद्रयान-2 भारत का एक अंतरिक्ष मिशन है जो चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।


Q. चंद्रयान-2 का मुख्य उद्देश्य क्या है?

Ans: चंद्रयान-2 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह का अध्ययन करना, उसकी रचना और संरचना को समझना, और नए वैज्ञानिक तथ्यों का खुलासा करना है।


Q. चंद्रयान-2 मिशन की विशेषताएं क्या हैं?

Ans: चंद्रयान-2 मिशन में एक ऑर्बिटर, एक लैंडर, और एक रोवर शामिल है, जो चंद्रमा की सतह पर उतरने और उसका अध्ययन करने में मदद करेंगे।


Q. चंद्रयान-2 मिशन का महत्व क्या है?

Ans: चंद्रयान-2 मिशन का महत्व यह है कि यह भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान क्षमताओं को प्रदर्शित करता है और वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में एक प्रमुख स्थान दिलाने में मदद करेगा।



निष्कर्ष

चंद्रयान-2 एक महत्वपूर्ण मिशन है जो भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान क्षमताओं को प्रदर्शित करता है। यह मिशन चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने और नए वैज्ञानिक तथ्यों का खुलासा करने में मदद करेगा, जिससे हमें ब्रह्मांड के बारे में अधिक जानकारी मिलेगी। चंद्रयान-2 की सफलता से भारत को वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में एक प्रमुख स्थान मिलेगा।

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